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सà¥à¤¨à¤¨ ईबà¥à¤¨-माजा, खंड ३, मदà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾ , पाठ३० , हदीस कà¥à¤°à¤®à¤¾à¤‚क ३३८० :
अनस (अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ उन पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ हों) बताते हैं कि पैगमà¥à¤¬à¤° मà¥à¤¹à¤®à¥à¤®à¤¦ (उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ शांति पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो) ने कहा है : अलà¥à¤²à¤¾à¤¹ ने मदà¥à¤¯ से समà¥à¤¬à¤‚धित दस तरह के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की à¤à¤°à¥à¤¤à¥à¤¸à¤¨à¤¾ की है. वह,जो इसका (मदà¥à¤¯ का)शोधन करता है; वह,जिसके लिठशोधन किया गया; वह,जो इसे पीता है; वह,जो इसका परिवहन करता है; वह,जिसके पास इसे परिवहित किया गया; वह,जो इसे परोसता है; वह,जो इसे बेचता है; वह,जो इसकी बिकà¥à¤°à¥€ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ धन से लाà¤à¤¾à¤°à¥à¤œà¤¨ करता है; वह,जो इसे सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के लिठकà¥à¤°à¤¯ करता है à¤à¤µà¤‚ वह,जो इसका कà¥à¤°à¤¯ किसी अनà¥à¤¯ के लिठकरता है.